4 In the Kingdom of Fools Translation
4 In the Kingdom of Fools
पाठ का विषय यह है कि मूर्ख खतरनाक चीजें हैं जिन्हें केवल बहुत बुद्धिमान लोग ही प्रबंधित कर सकते हैं (अर्थात काबू पा सकते हैं)। इस कहानी में मूर्ख कौन हैं? उनके साथ क्या हुआ?
कठिन शब्द एवं हिन्दी अनुवाद
1. In the Kingdom…………………………………..you next.”
कठिन शब्दार्थ : disobeyed (डिसबेड) = अवज्ञा की, delighted (डिलाइटिड्) = प्रसन्न, disciple (डिसाइप्ल) = शिष्य, stirring (स्ट ) = हिलना/डोलना, strangers (स्ट्रेन्ज(र)) = अजनबी, wander (वॉन्ड(र)) = निष्प्रयोजन घूमना, groceries (ग्रोसरिज्) = खाद्य वस्तुएँ, astonishment (अस्टॉनिश्मन्ट) = विस्मय।।
हिन्दी अनुवाद : मूों के राज्य में, राजा और मंत्री दोनों ही मूर्ख थे। वे अन्य राजाओं की भाँति राज्य
संचालन नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने दिन को रात तथा रात
को दिन में बदल देने का निर्णय लिया। उन्होंने आदेश दिया कि हर व्यक्ति रात को
जागेगा, अपना खेत जोतेगा तथा अपना व्यवसाय
अंधेरा होने के पश्चात् करेगा, तथा जैसे ही सूर्योदय होगा वह सोने
चला जायेगा। कोई भी व्यक्ति जो आज्ञा पालन नहीं करेगा उसे मृत्यु-दण्ड दिया
जायेगा।
लोगों ने मौत के भय से आज्ञा का
पालन किया। राजा तथा मंत्री खुश थे कि उनकी योजना सफल हो गई। एक दिन एक गुरु अपने
शिष्य के साथ नगर में आये। नगर सुन्दर था। दिन का प्रकाश फैला हुआ था पर कोई भी
व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। सभी लोग सोये हुए थे, कोई चूहा तक भी घूमता दिखाई नहीं पड़ रहा था। यहाँ तक कि पशुओं को
भी दिन में सोना सिखा दिया गया था। दोनों अजनबी व्यक्तियों ने जो कुछ चारों ओर
देखा, उससे हैरान हो गए तथा वे शाम तक
भटकते रहे । अचानक सम्पूर्ण नगर जग गया तथा अपने रात्रिकालिक कामों में लग गए। ।
दोनों व्यक्ति भूखे थे। अब चूँकि
दुकानें खुल गई थीं, वे खाद्य सामग्री खरीदने निकले। वे
विस्मित हो गये, जब उन्होंने पाया कि प्रत्येक वस्तु
की कीमत समान थी, मात्र एक डूडू–चाहे वह चावल की माप हो अथवा केले का गुच्छा हो, सभी का मूल्य मात्र एक डूडू था। गुरु तथा उसका शिष्य खुश हो गए।
उन्होंने इस प्रकार की स्थिति के बारे में कभी नहीं सुना था। वे अपनी आवश्यकता की
सभी खाद्य वस्तुएँ एक रुपये में खरीद सकते थे।
जब वे भोजन पका तथा खा चुके तो गुरु
को लगा कि यह तो मूखों का राज्य है तथा यहाँ ठहरना कोई अच्छा विचार नहीं है। “यह स्थान हमारे ठहरने के लिए उपयुक्त नहीं है, चलो, यहाँ से निकल चलें,” उन्होंने अपने शिष्य को बोला। पर शिष्य उस स्थान को छोड़कर नहीं
जाना चाहता था। यहाँ हर वस्तु सस्ती थी। वह तो अच्छा सस्ता भोजन ही चाहता था। गुरु
बोले, “ये सभी मूर्ख हैं। यह स्थिति बहुत
समय तक नहीं चल सकेगी, और कोई नहीं बता सकता कि वे
तुम्हारे साथ कैसा बर्ताव करें।”
2. But the disciple …………………………………. the house.
कठिन शब्दार्थ : sacred (सेक्रिड्) = पवित्र, bull (बुल्) = सांड, broke into (ब्रोक् इन्ट) =
सेंध लगाई, sneaked (स्नीक्ट) = चुपके
से आना, pursuing (पॅस्यूइंग) =
अनुसरण करते हुए, wrongdoer (रॉङ्डुअ(र)) =
गलत करने वाला, compensate (कॉम्पेन्सेट) =
क्षतिपूर्ति करना, injustice (इन्जस्टिस्) =
अन्याय, summoned (समन्ड) = बुला
भेजना।
हिन्दी अनुवाद : पर शिष्य, गुरु की बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह सुनने को (अर्थात् मानने को) तैयार
नहीं हुआ। वह वहीं रहना चाहता था। अंत में गुरु ने अपना प्रयास छोड़ दिया तथा बोले, “तुम जो जी में आए करो, मैं तो जा रहा हूँ”, और वह चले गए। शिष्य उसी राज्य में ठहरा रहा, हर दिन वह पेट भरता रहता-केले, घी तथा चावल, गेहूँ आदि खाता रहता, तथा सड़क के पवित्र साँड की भाँति मोटा हो गया।
एक दिन दिन-दहाड़े, एक चोर ने किसी धनी व्यापारी के घर में सेंध लगा ली। उसने दीवार
में छेद किया तथा चुपके से घुस गया, तथा जब वह लूट का माल बाहर लेकर जा रहा था, उस पुराने घर की दीवार उसके सिर पर गिर गई तथा उसी स्थान पर उसकी
मृत्यु हो गई। उसका भाई भागकर राजा के पास पहुँचा तथा उसने शिकायत की, “सरकार, जब मेरा भाई अपना पुराना धंधा कर
रहा था, तो उसके सिर पर दीवार आ गिरी तथा वह
चल बसा।
इसका सारा दोष इस व्यापारी का है।
उसे अच्छी मजबूत दीवार बनवानी चाहिए थी। आप इस अपराधी को अवश्य दण्ड दें तथा मेरे
परिवार को इस अन्याय के लिए क्षतिपूर्ति करें।” – राजा बोला, “न्याय मिलेगा। चिन्ता मत करो”, तथा तुरन्त उसने उस घर के स्वामी को बुला लिया।
3. When the merchant ……………………………………. it very well.”
कठिन शब्दार्थ : burgled (बग्ल्ड ) = सेंधमारी की, accused (अक्यूज्ड) = अभियुक्त, pleads (प्लीड्ज) = निवेदन करना/तर्क देना, guilty (गिल्टि) = दोषी, murdered (मॅडॅड) = हत्या
की, put up (पुट् अप्) =
निर्माण करना, built (बिल्ट्) =
निर्माण करना, messengers (न्ज(र)ज) =
संदेशवाहक, bricklayer (ब्रिक्ले अ(र)) =
मिस्त्री, execution (एक्सिक्यूशन्) =
फांसी, complicated (कॉमप्लिकेट्ड) =
जटिल, distracted (डिस्ट्रैक्टिड्)
= ध्यान बांटा।
हिन्दी अनुवाद : जब सौदागर आया, राजा ने उससे प्रश्न किया। “तुम्हारा नाम क्या है?” “अमुक और अमुक, हे राजन।” “क्या जब उस मृतक ने तुम्हारे घर में सेंध लगाई तो तुम घर पर ही थे?” “जी हाँ, महाराज। उसने दीवार में छेद किया
तथा दीवार कमजोर थी। वह उस पर गिर गई।”
“अपराधी अपना अपराध स्वीकार करता है।
तुम्हारी दीवार ने इस व्यक्ति के भाई की जान ले ली। तुम उसके हत्यारे हो। हमें
तुम्हें दण्ड देना होगा।” “सरकार”, निरुपाय व्यापारी बोला, “दीवार मैंने नहीं बनाई थी। यह तो वास्तव में उस व्यक्ति का दोष है
जिसने दीवार चुनी थी। उसने इसे ठीक से नहीं बनाया। आप उसे दण्ड दें।”
“वह व्यक्ति कौन है?” सरकार, “यह दीवार मेरे पिता के समय बनाई गई
थी। मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ। वह अब एक वृद्ध व्यक्ति है। वह पास में ही रहता
है।” राजा ने अपने दूतों को उस
राजमिस्त्री को पकड़ लाने के लिए भेजा जिसने दीवार बनाई थी। दूत उसके हाथ-पाँव
बाँधकर उसे ले आए।
“तुम्हीं से कह रहा हूँ, क्या तुम्हीं ने इस व्यक्ति के पिता के जीवनकाल में दीवार बनाई थी?” “जी हाँ, सरकार, मैंने बनाई थी।”
“यह दीवार तुमने किस प्रकार की बनाई
थी। वह एक गरीब व्यक्ति पर गिर पड़ी तथा उसकी जान ले ली। तुम उसकी मौत के दोषी हो।
हमें तुम्हें मृत्युदण्ड देना होगा।” – इससे पूर्व कि राजा उसकी मौत की सजा सुनाए, बेचारे राजमिस्त्री ने निवेदन किया, “अपना आदेश सुनाने से पूर्व कृपया मेरी बात सुन लें।
यह सच है कि मैंने ही वह दीवार बनाई
थी और वह मजबूत नहीं बनी। पर इसका कारण यह था कि मेरा मस्तिष्क उस समय अपने काम
में नहीं था। मुझे भली-भाँति उस नर्तकी की याद है जो सारे दिन अपनी पायल झनकारती
गली में आती-जाती रही और मैं अपनी आँखें तथा मन उस दीवार पर स्थिर न रख सका जो मैं
बना रहा था। आप उस नर्तकी को बुला लें। मैं जानता हूँ कि वह कहाँ रहती है।”
“तुम सही कहते हो। मामला गंभीर है।
हमें इसकी तह तक जाना होगा। ऐसे पेचीदे मामलों को निपटाना सरल नहीं होता। वह
नर्तकी जहाँ भी हो उसे बुलाओ।” नर्तकी जो अब एक वृद्ध महिला बन
चुकी थी, भय से काँपती राजदरबार में आई। “क्या कई वर्ष पूर्व जब यह गरीब व्यक्ति दीवार बना रहा था, तुम्हीं सड़क पर आ-जा रही थीं? क्या तुमने उसे देखा था?” “जी हाँ, सरकार। मुझे भली-भाँति याद है।”
4. “So you did …………………… name him?”
कठिन शब्दार्थ : innocent (इनॅस्न्ट) = निर्दोष, goldsmith (गोस्मिथ्) = सुनार, jewellery (जुअघि) = आभूषण, scoundrel (स्काउन्ड्रल) =
दुष्ट/बेईमान, damned (डैम्ड) =
झुंझलाहट व्यंजक शब्द, absolutely (ऐब्सलूट्लि) =
पूर्णतया, weighing (वेइङ्) = तोलते
हुए, evidence (एविडन्स्) =
प्रमाण, culprit (कलप्रिट्) = दोषी, bailiffs (बेलिफ्स) = न्यायिक अधिकारी, accusation (ऐक्युजेश्न्) = आरोप, impatient (इम्पेशन्ट) = बेचैन, mess (मेस्) = झंझट भरा।
हिन्दी अनुवाद : “तो तुम अपनी पायल झनकारती आ-जा रही थीं। तुम जवान थीं और तुमने
उसका ध्यान काम से भटका दिया, इस कारण उसने खराब दीवार बना दी ।
वह दीवार एक गरीब सेंधमार पर गिर गई तथा उसकी जान ले ली। तुमने एक निरपराध व्यक्ति
की हत्या की। तुम्हें दण्ड देना ही पड़ेगा।”
नर्तकी ने एक मिनट सोचा और फिर बोली, “सरकार, रुकिए। मुझे अब याद आया कि मैं उस
सड़क पर क्यों आ-जा रही थी। मैंने कुछ सोना एक सुनार को अपने आभूषण बनाने हेतु
दिया था। वह सुस्त और शैतान था। उसने अनेक बहाने बनाए, बोला कि आज आभूषण देगा, कुछ समय पश्चात् देगा। सारा दिन यही करता रहा।
उसने मुझे दर्जनों बार अपने घर
दौड़ाया। तभी इस राजमिस्त्री ने मुझे देखा था। दोष मेरा नहीं है। सरकार, दोष तो उस अधम सुनार का है।” “बेचारी महिला, यह बिल्कुल सही कह रही है,” राजा ने सबूत को तौल कर सोचा (अर्थात् गवाही को ध्यान में रखकर
कहा)। “आखिरकार हमने अभियुक्त को पकड़ ही
लिया। उस सुनार को बुलाओ वह जहाँ कहीं भी छिपा है। फौरन बुलाओ।”
राजा के अमीन ने स्वर्णकार की खोज
कर ली जो अपनी दुकान के कोने में छिपा बैठा था। जब उसने अपने विरुद्ध आरोप सुना तो
उसने अपनी कहानी सुनाई। “महाराज”, वह बोला, “मैं तो गरीब सुनार हूँ। यह सच है कि
मैंने इस नर्तकी को अपने द्वार पर कई बार आने पर विवश किया। मैंने उसको बहाने
बनाकर टाला क्योंकि मैं उसके आभूषण तब तक नहीं बना सकता था जब तक मैं एक धनी
व्यापारी का ऑर्डर पूरा न कर लेता, उसके यहाँ विवाह होने जा रहा था तथा वे लोग प्रतीक्षा नहीं कर सकते
थे। आप जानते ही हैं कि धनी लोग कितने अधीर होते हैं!”
“वह धनी व्यक्ति कौन है जिसने
तुम्हें बेचारी महिला के आभूषण बनाने से रोके रखा, उसे सड़क पर आने-जाने के लिए विवश किया जिससे इस राजमिस्त्री का
ध्यान इतना भटक गया कि उसने दीवार खराब कर दी और जो एक निर्दोष व्यक्ति पर गिर
पड़ी तथा उसके प्राण ले लिए? क्या तुम उसका नाम बता सकते हो?”
5. The goldsmith named………………………….. …………..and ghee.
कठिन शब्दार्थ : ruled (रूल्ड) = व्यवस्था दी, inherited (इन्हेरिड) = विरासत में प्राप्त की, criminal (क्रिमिन्ल) = अपराधी, sins (सिन्स) = पाप, horrible (हॉरब्ल्) =
डरावने/भयानक, crime (क्राइम्) = अपराध, stake (स्टेक) = सूली, फांसी का तख्ता, impaling (इम्पेल्ङ्) = फांसी, immediately (इमीजिनट्लि ) = तुरन्त।
हिन्दी अनुवाद : सुनार ने व्यापारी
का नाम बताया और वह वही व्यक्ति था जो उस घर का असली मालिक था जिस घर की दीवार गिर
गई थी। अब न्याय अन्तिम चरण पर आ पहुँचा है, राजा ने सोचा, अपराधी वही व्यापारी निकला। जब उसे
कठोरतापूर्वक राजदरबार में वापस बुलाया गया वह चीखता हुआ आया, “वह व्यक्ति मैं नहीं था जिसने आभूषणों का आर्डर दिया था, वह मेरे पिताश्री थे। उनका देहान्त हो चुका है। मैं तो निर्दोष
हूँ।” पर राजा ने अपने मन्त्री से सलाह की
तथा निर्णय दे दिया।”यह सच है कि तुम्हारे पिता असली
कातिल हैं ।
वह अब संसार से कूच कर चुके हैं पर
उनके स्थान पर किसी को तो दण्ड मिलना ही चाहिए। तुमने अपने अपराधी पिता की
सम्पत्ति विरासत में पाई है, उनकी सम्पदा तथा उनके पाप भी। जब
मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तभी मुझे फौरन पता चल गया था कि तुम ही इस निर्मम
अपराध की जड़ में हो। तुम्हें मरना ही होगा।”
और राजा ने आदेश दिया कि फाँसी के
लिए एक नई सूली तैयार की जाए। जब सेवकों ने सूली को पैना कर लिया और अपराधी को
फाँसी देने के लिए इसे तैयार कर लिया, तो राजमन्त्री को महसूस हुआ कि धनी व्यापारी इतना दुबला-पतला है कि
वह सूली पर भली-भाँति फिट नहीं हो सकता।
उसने राजा से समझ से काम लेने का
निवेदन किया। राजा को भी इस बात से चिन्ता हो गई। “अब हम क्या करें?” वह बोला तभी
अचानक उसके दिमाग में आया कि उन्हें बस किसी भी एक ऐसे मोटे व्यक्ति को खोजना था
जिस पर सूली फिट आ जाए। नौकरों को तुरन्त एक ऐसे व्यक्ति की खोज में सारे शहर में
भेज दिया गया जो सूली पर फिट आ जाए, और उन लोगों की दृष्टि उस शिष्य पर पड़ी जो महीनों तक केले, चावल, गेहूँ तथा घी खाकर मोटा हो गया था।
6. “What have I……………………………after me.”
कठिन शब्दार्थ : decree (डिक्री) = शासनादेश, vision (विश्न) = मानसिक प्रतिबिम्ब, scrape (स्क्रेप्) = खुद बुलाई मुसीबत, scolded (स्कोल्ड्ड ) = डांटा, whisper (विस्प(र)) = कानाफूसी, addressed (अड्रेस्ट) = सम्बोधित किया।
हिन्दी अनुवाद : “मैंने कौनसा अपराध किया है? मैं निर्दोष हूँ। मैं तो एक संन्यासी हूँ” वह चीखा।
“यह सच हो सकता है। पर यह तो शाही
आदेश है कि हम एक ऐसे मोटे व्यक्ति को खोज लें जो सूली पर फिट हो जाए,” वे बोले, तथा वे उस शिष्य को सूली के पास ले
गए। शिष्य को अपने ज्ञानी गुरु के शब्द याद आ गए : “यह मूों की नगरी है। तुमं नहीं जानते कि ये लोग अगले क्षण तुम्हारे
साथ क्या बर्ताव करेंगे।”
जब वह अपनी मौत की घड़ियाँ गिन रहा
था, उसने मन में गुरु को याद किया, उनसे निवेदन किया कि वह जहाँ भी हों उसकी पुकार सुन लें। गुरु ने
सब कुछ एक स्वप्न छाया में देख लिया, उनमें चमत्कारी शक्ति थी, वह दूर तक देख सकते थे, और वह भविष्य को भी उसी प्रकार देख सकते थे जैसे कि वर्तमान तथा
भूतकाल को।
वह अपने शिष्य की प्राण रक्षा हेतु
तुरन्त आ पहुँचे, जो अपने भोजन की लालसा के कारण ऐसी
मुसीबत में फँस गया था। जैसे ही वह आए, उन्होंने अपने शिष्य को डाँटा-फटकारा तथा धीरे से उससे कुछ कहा।
फिर वह राजा के पास गए तथा बोले, “सर्वाधिक
बुद्धिमान महाराज, दोनों में कौन बड़ा होता है गुरु या
शिष्य?” “निश्चय ही गुरु। इसमें कोई सन्देह
नहीं। तुम यह पूछ क्यों रहे हो?” “तब आप मुझे ही
पहले सूली पर लटकाएँ। मेरे शिष्य को मेरे पश्चात् सूली पर चढ़ाएँ।”
7. When the disciple………………………….promptly executed.
कठिन शब्दार्थ : clamour (क्लैम(र)) = शोर-शराबा करना, puzzled (पज्ल्ड् ) = घबरा गया, mystery (मिति) = रहस्य, solemn (सॉलम्) =
गम्भीर/सत्यनिष्ठ, earshot (इअशॉट) = श्रवण
सीमा, ascetic (असेटिक्) = संन्यासी, postponed (पॅस्पोन्ड) = स्थगित किया, prison (प्रिजन्) = जेल, disguised (डिस्गाइज्ड) =
वेश बदला, promptly (प्रॉमट्लि ) =
शीघ्रता से।
हिन्दी अनुवाद : जब शिष्य ने यह
सुना, तो वह समझ गया और शोर-शराबा करने
लगा, “पहले मुझे! आप मुझे यहाँ पहले लाये
थे! मुझे पहले मृत्यु दो, उसे नहीं!” गुरु तथा शिष्य इस बात पर झगड़ पड़े कि कौन पहले मृत्यु वरण करे।
राजा इस व्यवहार को देखकर हैरान था। उसने गुरु से पूछा, “आप मरना क्यों चाहते हैं? हमने तो इस व्यक्ति को चुना क्योंकि हमें सूली के लिए उपयुक्त मोटा व्यक्ति चाहिए था।” “आप मुझसे ऐसे प्रश्न न करें। पहले मुझे ही सूली पर चढ़ाएँ,” गुरु ने उत्तर दिया। “क्यों? इंसमें कुछ भेद अवश्य है। बुद्धिमान
व्यक्ति की भाँति मुझे भी समझाओ।”
“क्या आप यह वचन देते हैं कि यदि मैं
आपको वह रहस्य बता दूँ तो आप मुझे मृत्यु-दण्ड दे देंगे?” गुरु ने पूछा । राजा ने उसे वह पवित्र वचन दे दिया। गुरु उसे एक ओर
ले गया, जहाँ नौकर-चाकर उनकी बात न सुन
सकें। उसने राजा से कानाफूसी की, “क्या आप जानते
हैं हम अभी क्यों मरना चाहते हैं, हम दोनों ही? हम समस्त संसार का भ्रमण कर चुके हैं पर हमें आपके जैसी नगरी अथवा
राजा नहीं मिल पाया। आपकी बनाई सूली परमात्मा की न्याय की सूली है।
यह नई है। इस पर अब तक किसी अपराधी
को मृत्यु-दण्ड नहीं दिया गया है। जो व्यक्ति भी इस पर पहले पहल मरेगा वह इस देश
का राजा बनकर पुनर्जन्म लेगा और जो उसके पश्चात् मरेगा वह इस देश का भावी मन्त्री
बनेगा। हम अपने संन्यासी जीवन से तंग आ चुके हैं। कुछ दिनों तक हम राजा तथा
राजमन्त्री बनने का आनन्द लेना चाहते हैं। अब आप अपना वचन पूरा करें। महाराज, हमें फाँसी दे दें। याद रखो, मैं पहले मरना चाहँगा।”
राजा गम्भीर विचारों में खो गया। वह
नहीं चाहता था कि अगले जन्म में कोई अन्य व्यक्ति उसके राज्य का स्वामी बन जाए।
उसे विचार करने हेतु कुछ समय की आवश्यकता थी। इस कारण उसने फाँसी दण्ड को अगले दिन
सम्पन्न करने का आदेश दे दिया, तथा अपने राजमन्त्री से उसने गुपचुप
मन्त्रणा की।”अगले जन्म में हमारे लिए यह सही
नहीं होगा कि अपना राज्य अन्य लोगों को सौंप दें। आओ, हम स्वयं ही सूली पर चढ़ जाएँ तथा हम राजा और मन्त्री के रूप में
पुनः जन्म ले लेंगे। महात्मा लोग झूठ नहीं बोलते”, वह बोला तथा मन्त्री सहमत हो गया।
इसलिए उसने बधिकों को बोला “हम आज रात अपराधियों को भेजेंगे। जैसे ही पहला व्यक्ति तुम्हारे
पास पहुँचे, उसे मार देना। फिर दूसरे व्यक्ति का
भी वही हाल करना। यही मेरी आज्ञा है। कोई गलती मत करना।” उस रात राजा तथा मन्त्री चुपके से कारावास में गए, उन्होंने गुरु तथा उसके शिष्य को मुक्त कर दिया, स्वयं दोनों ने गुरु तथा शिष्य का भेष बना लिया, तथा अपने स्वामि-भक्त नौकरों के साथ जिस प्रकार पहले से व्यवस्था
कर रखी थी, उन्हें सूली पर ले जाया गया तथा
तुरन्त मौत के घाट उतार दिया गया।
8. When the bodies……………………………….other place.
कठिन शब्दार्थ : crows (क्रोज) = कौए, vultures (वल्च(र)ज) =
गिद्ध, mourned (मॉन्ड) = शोक
प्रकट किया, persuade (पस्वेड्) =
मनाया।
हिन्दी अनुवाद : जब उनके शवों को
कौवों तथा गिद्धों को खिलाने हेतु सूली से उतारा गया तो लोग घबरा गए। उन्हें अपने
सामने मृत राजा तथा मन्त्री के शव दिखाई दिए। सारे नगर में उलझन अथवा व्याकुलता
थी। सारी रात उन लोगों ने शोक-संताप किया तथा राज्य के भविष्य के बारे में चर्चा
की। कुछ लोगों को अचानक गुरु तथा शिष्य की याद आई और उन दोनों को पकड़ लिया गया जब
वे चुपचाप नगर से बाहर चले जाने वाले थे।
“हम लोगों को एक राजा तथा राजमन्त्री
की आवश्यकता है,” एक व्यक्ति ने कहा। अन्य लोग सहमत
हो गए। उन्होंने गुरु तथा शिष्य से विनती की कि आप हमारे राजा तथा राजमन्त्री बन
जाएँ। उन्हें शिष्य को राजी करने में बहुत तर्क-वितर्क नहीं करना पड़ा पर गुरु को
राजी करने में अधिक समय लगा।
अन्त में वे दोनों, मूर्ख राजा तथा राजमन्त्री के राज्य पर शासन करने को इस शर्त पर
तैयार हो गए कि उन्हें सभी पुराने कानूनों को बदलने का अधिकार होगा। तभी से यह तय
हो गया कि रात पुनः रात रहेगी तथा दिन दिन रहेगा, तथा आपको कुछ भी एक सिक्के के बदले में नहीं मिलेगा। वह राज्य किसी
भी अन्य स्थान के समान हो गया।
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